शेष भूमिका निभाने को ही है, स्व विवेक और खुद बुद्धि आपकी। शेष भूमिका निभाने को ही है, स्व विवेक और खुद बुद्धि आपकी।
बस हर बदलाव को पाने को एक नया सहारा खोजना चाहता है बस हर बदलाव को पाने को एक नया सहारा खोजना चाहता है
वानप्रस्थ और संन्यास। वानप्रस्थ और संन्यास।
आज हमारा बचपन है कल हमारा यौवन है फिर हमारा बुढ़ापा है आज हमारा बचपन है कल हमारा यौवन है फिर हमारा बुढ़ापा है
नए दौर के इस हालात में, मैं पुराने ख़यालात ढूंढ रही हूं। नए दौर के इस हालात में, मैं पुराने ख़यालात ढूंढ रही हूं।